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मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-8)

पिछले एपिसोड में आप लोगो ने पढ़ा-
राज संजना से दोस्ती करने में कामयाब हो जाता है। और दिव्या राज और संजना दोस्त बन जाते है राज संजना के पापा और मौसी के कहने पर वापस अपने घर जाने को राजी हो जाता है। साथ ही अंकल को भी पूरा वक़्त देने का वादा करता है।

अब आगे-

कहानी में नया मोड़ आ गया।

(क्योकि जब सब अच्छा होने लगता है तो खुद की नजर लगने लगती है जिंदगी को)

(राज संजना से प्यार करता था। और दिव्या राज से। संजना को भी राज पसंद था। इन तीनो की दोस्ती मिसाल थी । संजना और दिव्या का कॉलेज पूरा हो चुका था। लेकिन फिर भी दिव्या और संजना जब भी कही घूमने का प्लान बनाते तो राज को साथ ले जाते थे। )

(बात है दिव्या के बर्थडे की शास्त्री जी , राज और संजना ने बर्थडे पार्टी रखी दिव्या के लिए सप्राइज पार्टी। दिव्या को संजना घूमाने ले गयी तो राज ने इम्पोर्टेन्ट मीटिंग का बहाना लगाकर। उन दोनों को ही जाने को कहा और जब तक वो आये राज और शास्त्री जी ने घर की सारी डेकोरेशन करवा दी। दिव्या सुबह से उदास थी क्योंकि उसके पापा दिल्ली गए थे । और दिव्या का बर्थडे किसी को याद नही था।लेकिन राज, संजना और शास्त्री जी तो उसे सरप्राइज देने की सोच रहे थे। एक दमदार पार्टी जिसमे लोग कम और खुशिया ज्यादा थी ।
शाम को संजना और दिव्या घर आये तो घर एकदम स्वर्ग बना हुआ था। शास्त्री जी ने अपने घर पर सबकुछ किया था। , दिव्या खुशी से झूम उठी, राज और शास्त्री जी "हैप्पी बर्थडे तो यु डिअर दिव्या" गुनगुना रहे थे।)

(दिव्या , संजना और राज  शास्त्री जी के अलावा दिव्या के कुछ और फ्रेंड थे । दिव्या के पापा दिल्ली गए थे जिस कारण वो अपनी बेटी का जन्मदिन अटेंड नही कर पाए। पार्टी में नाच, गाना, हुआ और फिर केक कटिंग, फिर डिनर,)
 दिव्या- सच मे बहुत मजा आया। क्या सरप्राइज़ था। 
संजना - सारा इंतजाम राज ने खुद किया था।
 राज -अरे नही अंकल जी की वजह से हुआ सबकुछ। वरना हमे तो पता भी नही था आज क्या है। 
अंकल - मैं इसका बर्थडे कैसे भूल सकता हूँ। पता है मैं जब यहाँ रहने आया। मेरा पहला दिन था तो इनके घर मे बहुत भीड़ सी थी।  मैने पास जाकर देखा तो किसी का नामकरण हो रहा था। उस दिन मुझे मुसाफिर देखकर खाने के लिए पूछा गया। मुझे बहुत भूख भी लगी थी। तो मैंने इसका नामकरण का खाना खाया है। 
दिव्या - फिर जब भी मैं रोती थी अंकल भाग कर आया करते थे हमारे घर। मुझे मेरे पापा बताते है। बाद बाद में जैसे जैसे मैं बड़ी हुई । मेरा मन घर मे कभी नही लगता था । मैं भाग भाग कर इनके घर चले जाया करती थी।
 राज - अच्छा तो आप दिव्या के बचपन के दोस्त हो। 
दिव्या- (हंसते हुए ) हिहिहि बहुत अच्छे वाले।

(बात चल ही रही थी कि दिव्या के फोन पर फोन आया। और उसके चेहरे का रंग उतर गया और वो किचन में चली गयी बात करने।) 

दिव्या - आप लोग बाते करो मैं दो मिनट में आती हूँ।
 राज - किसका फोन है। 
दिव्या - कोई फ़्रेंड है बडडे विश करने किया होगा।(चले जाती है)
 संजना - मैने भी घर जाना है। राज मुझे छोड़ दोगे ।
राज- ठीक है दिव्या आ जायेगी अभी फिर जाएंगे।

(किचेन में दिव्या)

 दिव्या - क्यो बार बार परेशान कर रहे हो। मैने जब बोल दिया मुझे कोई इंटरेस्ट नही है आपसे बात करने में। 
राजीव- मुझे तो है ना। देखो मैं तुमसे कुछ नही चाहता तुमने मुझसे मेरी जिंदगी छीनी है और अब मेरी बारी है। 
दिव्या- क्या मतलब । 
राजीव- मेरी संजना को मुझसे दूर करने की जिम्मेदार सिर्फ तुम हो ... सिर्फ तुम।
 दिव्या- मैने क्या किया। 
राजीव- मेरी भोली सी बहन से मीठी मीठी बात करके । मेरी डायरी चुराई है। । 
दिव्या- गलती तुम्हारी हैं। चिठ्ठी तुमने भेजी थी राज फालतू में फंस गया था। 
राजीव- वो मेरी अगली गलती में भी फसेगा । तब उसे बचाने वाली कोई दिव्या नही होगी।
 दिव्या- फालतू बकवास मत करो। रखो फोन।

(दिव्या फोन काट देती है)
दिव्या आती है। एक हल्की सी  मुस्कराहट के साथ। और आकर  सबके साथ बैठ जाती है। 
राज- दिव्या रात बहुत हो गयी है। संजना को घर जाना है। मैं भी चलता हूँ। 
दिव्या- राज तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।
 राज- बोलो। 
दिव्या - अभी नही बाद में आप इसे छोड़कर आओ । आज यही आ जाना अंकल के पास।
 अंकल- बात क्या है दिव्या। तुम परेशान लग रही हो। 
दिव्या- कुछ नही अंकल 
राज- समझने की कोशीश करो दिव्या । मैं नही आ पाऊंगा , संजना को छोड़ने के बाद, मौसी मुझे आने नही देगी।
 दिव्या- तुम समझो । कोई जरूरी बात है । तुम्हे बताना है
 संजना- अच्छा जी ! ऐसी भी क्या बात है जो हमारे सामने नही हो रही है । 
दिव्या- राज अगर तुम्हे मौसी आने नही देगी तो अंकल छोड़ आएंगे संजना को। 
राज- कल बात कर लेंगे। अभी संजना को देर हो रही है।
दिव्या- (गुस्से में) संजना की बहुत फिक्र है तुम्हे। मेरी कोई फिक्र नही।
 राज- ये क्या पागलपन है। होश में तो हो। 
संजना- अगर ऐसी बात है तो मैं चली जाऊंगी ऑटो करके।(संजना उठकर जाने लगती है। राज उसका हाथ पकड़ लेता है)
 राज - रूको संजना, 2 मिनट 
अंकल- कुछ तो बात है दिव्या। आजतक तुम्हे ऐसे झगड़ते कभी नही देखा।
 राज- दो मिनट अंकल जी और संजना आप लोग यही रूको। दिव्या तुम चलो मेरे साथ( राज दिव्या को अंदर कमरे में ले गया।)
 राज- बोलो क्या बात है। 
दिव्या- राजीव को पता लग गया है कि वो डायरी मैने चुराई थी। 
राज- तो इसमें कौन सी बड़ी बात है। 
दिव्या- वो पिछले कई दिनों से मुझे फोन कर रहा है। और धमकी दे रहा है। 
राज- वो धमकी ही दे सकता है। कुछ कर नही सकता है। तुम फिक्र मत करो। अगर अगली बार फोन आये तो मुझे कॉन्फेंस पर ले लेना। 
दिव्या- आज यही रुक जाओ। आपका जाना जरूरी है। 
राज- मौसी को बोलकर आया हूँ आऊंगा और संजना को भी मेरी जिम्मेदारी पर भेजा है। जाना तो पड़ेगा। 
दिव्या- लेकिन अगर मुझे कुछ हो गया तो बाद मैं मत कहना
राज- कैसी बात कर रही हो। कुछ नही होगा। राजीव पागल है। लेकिन इंसान ही है। समझाने से समझ जाएगा। मैं कल जाकर समझाऊंगा उसे।  चलो अब टेंशन मत लो कल आपके पापा भी आ जाएंगे । आज ही कि बात है। कल दिन में जाकर राजीव से बात करूंगा।
 दिव्या- नही वो बहुत खतरनाक है। तुम उसके पास नही जाओगे। 
राज- (हंसते हुए।) अरे कोई गुंडा थोड़ी है वो। हमारी तरह लड़का है। समझ जाएगा समझाने में।
दिव्या- (राज को गले लगाते हुए) मुझे बहुत घबराहट हो रही है।
राज- क्या कर रही हो कोई आ जायेगा।
दिव्या- तो क्या हुआ , फिर ऐसा मौका मिले न मिले,

(पहली बार दिव्या ने राज को गले लगाया था और कसकर पकड़ था किसी डरकोप बच्चे की तरह । राज को टेंशन ये भी है कि संजना ना देख ले, गलत शक करेगी )
राज- कोई देखेगा तो क्या सोचेगा…… छोड़ो प्लीज
दिव्या- देख लेगा तो क्या मुझे पता है तुम मुझसे प्यार करते हो।
राज- ये किसने कहा तुमको।
दिव्या- आप ही तो बोल रे थे
             ज़रा सा दिल मे दे जगह तू..……
             जरा सा अपना ले बना.……
        मेरे पूरे दिल की सारी जमीं आपके नाम है। और तुम मेरे जरा सा नही बहुत सारा अपने हो...
राज- स्टुपिड.. गाना था वो……
दिव्या- गाया तो मेरे लिए था ना।
राज- देखो सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे। .………छोड़ो प्लीज
दिव्या- सच बोलो तुम मुझसे प्यार करते हो कि नही।
राज-  दिव्या हम दोस्त है।
दिव्या- बट……(राज को छोड़ते हुए)  कोई बात नही। जाओ
राज - (दिव्या के गाल को दोनो हाथो के बीच रखते हुए) तुम बहुत अच्छी दोस्त हो मेरी। और देखना मैं ये दोस्ती हर हाल मैं निभाउँगा उसके लिए मुझे जान देनी पड़ी तो दे दूंगा लेनी पड़ी तो ले भी लूँगा।
दिव्या- मैं जान नही मांग रही। बस मुझे जीने की वजह दे दो। मैं तुम्हारे बिना जी नही पाऊंगी।
राज- आपकी कोल्ड्रिंक में किसी ने कुछ मिला दिया था लगता है। चलो बाहर।

(दिव्या और राज बाहर आते है।)
संजना- (चिढ़ाते हुए) क्या बात इतनी देर लगा दी। क्या खिचड़ी पक रही थी।
राज- कुछ नही यार....चलो आ जाओ।  ठीक है अंकल जी कल मिलते है।

(अब राज संजना को छोड़ने जाता है। और अंकल भी दिव्या को उनके घर के बाहर तक छोड़ आते है। ।)

(राज संजना को घर छोड़कर जैसे ही बाहर आता है और अपने घर के अंदर को बढ़ता है। तो राज को दिव्या  का फोन आता है। लेकिन दिव्या कुछ नही बोलती है। और राज फोन काटकर मेसेज करता है। जो भी बात है कल मिलकर बताना।

(पुलिस थाने में विक्रम , अंजलि और राज) 

राज- फिर अगले दिन सुबह जब मैं उठा नहाया धोया और पूजा की। इतने में शास्त्री जी का फोन आया जो कि रो रहे थे। उन्होंने बताया कि दिव्या ने सुसाइड कर लिए है। दिव्या ने खुद को पंखे में लटकाया है। ये सब सुनकर मेरी रूह कांप उठी। मैं कुछ सोचने की स्थिति में नही था। मैं सीधे दिव्या के घर पहुंचा। वहाँ उसके पापा शास्त्री जी और बहुत सारे लोग खड़े थे। फिर मैं दिव्या के पास पहुंचा । और उसके पास बैठ गया।  मेरी आँखें नम थी। दिल कर रहा था जी भर के रोउ। पर मेरे आंखों से आँसू, और जुबान से लफ्ज़ इस तरह गायब थे मानो वो लाश मेरी हो। फिर क्या हुआ मुझे कुछ याद नही।

विक्रम- याद नही , कैसे याद नही। मैं भी उस वक़्त वहाँ मौजूद था। जोशी जी (दिव्या के पापा)  ने उसकी मौत का जिम्मेदार तुम्हे ठहराया। और जब जांच में पता चला कि उसकी मौत फांसी खाने से नही हुई थी। उसको मौत के बाद फांसी में लटकाया गया था। रात के करीब 12:15बजे उसकी मौत हुई। और शास्त्री जी का कहना था की वो उसे 11:20 पर घर छोड़ आये थे। अंजलि- 11:20 से 12:15 यानी 1 घंटे बाद ही उसकी हत्या कर दी गयी। 
राज- गलती मेरी है। और मुझे इस बात का जिंदगी भर अफसोस रहेगा कि उसने मुझे रोकना चाहा और मैं नही रुका। 
अंजलि - जिंदगी भर अफसोस तब रहेगा जब जिंदगी रहेगी।पता है तुम्हारे खिलाफ केस कौंन लड़ रहा है। 
राज - कौन???
 अंजलि - उसके पापा जोशी जी। 
राज - राजीव को क्यो नही पकड़ते आप । 
विक्रम- न तो उसके खिलाफ सबूत है। ना गवाह। 
राज- वो दिव्या को धमकी भरे फोन कर रहा था। और मेरे खिलाफ क्या सबूत है। 
अंजलि- राज तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है थाने में।  और ना ही शास्त्री जी तुम्हारा साथ दे रहे हैं ना ही संजना। अभी तक बेल के लिए भी कोई नही आया 6 दिन हो गए तुम्हे जेल में। एक बार मौसी आयी और ये बोलकर चली गयी कि अगर इसने ये सब किया है तो इसको कड़ी से कड़ी सजा देना।
राज- मौसी आयी। और बिना मिले चली गयी।
 विक्रम- मतलब तुम्हे सच मे कुछ याद नही है क्या। तुम्हे जेल हुई उस दिन शाम को तुम्हारी मौसी आयी थी। 
विक्रम- जी आप कौन 
मौसी- राज कहाँ है। 
विक्रम- माफ कीजिये आप क्या लगते है उनके। 
मौसी- मौसी हूँ  उसकी
 विक्रम- आगे से लेफ्ट ले लो। 
मौसी- (राज के पास जाती है राज बेसुध होकर बैठा था)- मुझे पता है तू ऐसा नही कर सकता ।…………तू कुछ बोलता क्यो नही.……………ऐसे चुप बैठकर क्या होगा.…………… बोल कुछ.……………देख अगर तूने कुछ नही क्या तो एक बार बोल दे.……………(राज चुप था) 
विक्रम- आंटी ये सदमे में है। मुझे नही लगता ये कुछ बोलेगा।
विक्रम- उस दिन के बाद आज तक कोई नही आया।कल कोर्ट में पेशी है । कुछ तो ऐसा बताओ कि अंजलि पहले मुकदमे में ही तुम्हे सजा मिलने से रोक दे। राज-एक बार राजीव को शक के आधार पर ही पूछताछ कर लो। 
अंजलि- उसके पास जाना तो पड़ेगा।
 विक्रम- मुझे खबर मिली है कि वो घर पर नही है वो दो हफ्ते पहले ही आस्ट्रेलिया चला गया था।
 राज- पर ये झूठ भी तो हो सकता है। 
विक्रम- नही उसका ऑनलाइन शीट कन्फर्मेशन हुई थी। उसके मम्मी पापा से बात हुई थी उन्होंने भी यही बोला और पासपोर्ट और बीजा की डुप्लीकेट कॉपी भी दिखाई।
 राज- तो आप लोग दिव्या के रूम की बारीकी से छानबीन क्यो नही करते। 
विक्रम - कर रहे है। 
अंजलि- चलो मैं अभी चलती हूँ। अब जो होगा देखा जाएगा।  कल कोर्ट में मिलते है।

(विक्रम और अंजलि चले जाते है)

(दिव्या का मर्डर हो चुका होता है जिसका जुल्म राज को ठहराया गया है। मगर राज ने उसका मर्डर नही किया था। राजीव भी दो हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया जा चुका था जबकि दिव्या को उसी ने धमकी दी थी फोन पर की- मेरी पहली गलती में राज निर्दोष साबित हो गया उसे तूने निर्दोष साबित किया था। अगली गलती में वो पकड़ा जाएगा उसे बचाने वाली को दिव्या नही होगी

जहाँ से मर्डर :- एक प्रेम कहानी की शुरुआत हुई थी कहानी अभी वही रुकी पड़ी है । क्योंकि अभी तक जो हो रहा था वो निश्चित था। पास्ट को  कोई नही बदल सकता। राज अंजलि और विक्रम  को अपने बीते पल के बारे में बता रहा था।  लेकिन अब फ्यूचर में क्या होने वाला है- क्या अंजलि  राज  को बेगुनाह साबित कर पायेगी, क्या ईमानदार पुलिस अफसर विक्रम देगा अंजलि का साथ।
देखेंगे अगले एपिसोड में
एडवोकेट जोशी जी (दिव्या के पापा), और अंजलि का घमासान युद्ध, और जज साहब का फैसला।


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1 Comments

🤫

06-Sep-2021 03:05 PM

वेरी इंटरेस्टिंग स्टोरी....तो यहां से शुरू हुई कहानी...दिव्या का मर्डर हुआ लेकिन कातिल कौन...?

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